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Copernicus....

पोलैंड में जन्में निकोलस कोपरनिकस युरोपिय खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उन्होंने यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है।

निकोलस पहले युरोपिय खगोलशास्त्री थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केन्द्र से बाहर माना, यानी हीलियोसेंट्रिज्म मॉडल को लागू किया। इसके पहले पूरा युरोप अरस्तू की अवधारणा पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी और सूर्ये, तारे तथा दूसरे पिंड उसके गिर्द चक्कर लगाते थे।

1530 में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स (De Revolutionibus) प्रकाशित हुई जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है। कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।

खगोलशास्त्री होने के साथ साथ कोपरनिकस गणितज्ञ, चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर, सैन्य नेता और अर्थशास्त्री भी थै। उन्होंने मुद्रा पर शोध कर ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। उन्होंने मुद्रा के संख्यात्मक सिद्धांत का फार्मूला दिया। कोपरनिकस के सुझावों ने पोलैंड की सरकार को मुद्रा के स्थायित्व में सहायता प्रदान की।

निकोलस कोपरनिकस का जन्म 19 फरवरी, 1473 को पौलैंड के विस्तुला नदी के किनारे बसे थोर्न में हुआ. उनके बचपन का नाम था कोपरनिक, जिसका अर्थ होता है विनम्र. 

जब वह दस वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई और उनका लालन-पालन उनके मामा लुक्स वाक्झेनरोड ने किया. चूंकि उनके मामा का संपर्क पोलैंड के ख्यातिप्राप्त लोगों से था इसलिए उन्हें पढ़ाई और स्कूल में एडमिशन में कभी दिक्कत नहीं हुई. 

उन्होंने 1491 में तत्कालीन यूनिवर्सिटी ऑफ क्राकौ से मैट्रिक पास किया. क्राकौ शहर के प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक अल्बर्ट ब्रुड्झेवस्की थे, जो ज्योतिष गणितज्ञ थे.

उनके प्रभाव में आकर कोपरनिकस का ज्योतिष और गणित की ओर रुझान बढ़ा. उन्होंने तीन साल तक मेडिकल, आर्ट और 
ज्योतिष का अध्ययन किया. 

पाडुआ विविद्यालय से उन्होंने मेडिकल और दर्शनशास्त्र में डिग्री ली लेकिन उन्होंने अपना करियर एस्ट्रोनॉमी में बनाया और 1499 में रोम विविद्यालय में एस्ट्रोनॉमी के अध्यापक के रूप में ज्वाइन किया. 

बाद में वे विविद्यालय छोड़कर धर्म प्रचारक बन गए. युवावस्था से तीस वर्ष तक वे गणित का सहारा लेकर अपनी मान्यताओं को सिद्ध करने और उन्हें पूरी तरह सही करने की कोशिश करते रहे. 

उनकी पुस्तक ‘ऑन द रिवोल्यूशन्स ऑफ द सेलेलिस्टयल स्फेयर’ का प्रकाशन उनकी मौत के बाद हुआ. उनके मन में इसे प्रकाशित करने की झिझक थी. 

आखिरकार उनके एक गहरे दोस्त टिडमान गाइसीयस ने इस पुस्तक को प्रकाशित करवाया. इस किताब को मॉडर्न एस्ट्रोनॉमी की शुरुआत माना जाता है. 

उनकी खोज को विज्ञान जगत में मानक माना जाता है. कोपरनिकस निकोलस पहले यूरोपीय खगोलशास्त्री थे जिन्होंने पृथ्वी को ब्रह्माण्ड के केंद्र से बाहर निकाला यानी हीलियोसें ट्रिज्म मॉडल को लागू किया, वरना इससे पहले पूरा यूरोप अरस्तू के मॉडल पर विश्वास करता था, जिसमें पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र थी और सूर्य, तारे तथा दूसरे पिंड उसके चारों ओर चक्कर लगा रहे थे. 

कोपरनिकस ने 1530 में बताया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और साल में सूर्य का एक चक्कर लगा लेती है. 

उन्होंने यह निष्कर्ष बिना किसी यंत्र का उपयोग किये किया. वे घंटों नंगी आंख से अंतरिक्ष को निहारते रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते थे.

वे जहां लैटिन, जर्मन और पॉलिश धाराप्रवाह बोलते थे, वहीं ग्रीक और इटैलियन पर भी पूरा अधिकार रखते थे. 

उनके अधिकतर शोध लैटिन में छपे हैं क्योंकि उस दौर यही यूरोप की भाषा थी. रोमन कैथोलिक चर्च और पोलैंड के रॉयल कोर्ट की भाषा भी लैटिन ही थी, हालांकि उन्होंने जर्मन में भी छिटपुट लिखा है.

1542 आते-आते वे एपोप्लेक्सी और पायरलाइसिस के शिकार हुए और 24 मई, 1543 को उनका निधन हो गया.

पृथ्वी दुनिया का केंद्र माना जाता है कि, और सूर्य, ग्रह और तारे के चारों ओर ले जाएँ।इस तरह की एक प्रणाली ग्रीक शब्द से "समलैंगिक", भू दुनिया कहा जाता है - पृथ्वी।सूरज उलझ की तरह, सही चाप में पृथ्वी के चारों ओर ले जाता है, और ग्रहों परिसर के रास्तों क्यों लेकिन कोई नहीं समझा सकता है।

कोपरनिकस "Almagest", क्रिस्टल क्षेत्रों घूर्णन की अपनी प्रणाली में टॉलेमी द्वारा प्रस्तावित भू दुनिया प्रणाली में सुधार करने की कोशिश की।यह लगातार अनुमानों की विधि द्वारा टिप्पणियों और गणना के आधार पर क

एक प्रणाली खगोलीय प्रेक्षण सामग्री के वर्षों के हजारों इस्तेमाल किया गया है का निर्माण करने के लिए।स्पष्ट करने के प्रयास में यह पहले बनाया है, लेकिन कोपरनिकस पहले ग्रहों की प्रमुख epicycles (प्रक्षेप पथ) की समानता की ओर ध्यान आकर्षित किया और एक स्पष्टीकरण खोजने की कोशिश की।प्रणाली के केंद्र सूर्य डाल करने के लिए और ग्रहों बनाने के लिए इसके चारों ओर घूमता है, यह आसानी से epicycles की समानता से समझाया है।

कोपरनिकस की स्थिति बहुत मुश्किल थे - यह एक अलग समन्वय प्रणाली में अनुवाद किया खगोलीय डेटा जाना जाता है।और वह खगोलीय प्रेक्षणों की एक बहुत खर्च।कोपरनिकस द्वारा इस्तेमाल किया गया था, जो सबसे प्रसिद्ध साधन, trikvetrum, लंबन साधन था।एक धूपघड़ी, वृत्त का चतुर्थ भाग का एक प्रकार - दूसरी डिवाइस, क्रांतिवृत्त के कोण, कुंडली निर्धारित करने के लिए कोपरनिकस पीते हैं।इस प्रकार कोपरनिकस अभी भी तय सितारों की एक क्षेत्र से घिरा एक परिमित ब्रह्मांड के विचार को बनाए रखा।केवल लगभग एक सौ साल बाद जिओरडनो ब्रूनो को संसार का तारकीय बहुलता का सुझाव दिया।काम के लगभग तीस साल की

परिणाम शीघ्र ही कोपरनिकस की मौत से पहले, 1543 में नूर्नबर्ग में प्रकाशित "स्वर्गीय क्षेत्रों की क्रांतियों पर" अपनी पुस्तक थी।यह छह भागों के होते हैं: 1) पृथ्वी और दुनिया है, साथ ही निर्णय आयताकार और गोलाकार त्रिकोण के नियमों की गोलाई;2) गोलाकार खगोल विज्ञान और आकाश में तारों और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति की गणना के लिए नियमों की मूल बातें;3) पर या विषुवों और क्रांतिवृत्त के साथ भूमध्य रेखा के चौराहे की लाइन का प्रतिगामी गति के अग्रगमन;4) चंद्रमा पर;5) अन्य ग्रहों पर;6) ग्रहों के परिवर्तन अक्षांशों के लिए कारण।

मूल चर्च अन्य ग्रहों के साथ एक सममूल्य पर पृथ्वी के मंचन की संभावना के दार्शनिक निहितार्थ करने के लिए ध्यान का भुगतान नहीं किया।यह केवल जिओरडनो ब्रूनो की मेहनत और गैलीलियो गैलीली 1616 में सभी तीन किताबें विधर्मी घोषित कर दिया और मना रहे थे अपनी दूरबीन की मदद से आविष्कार सूर्य केंद्रीय प्रणाली के व्यावहारिक पुष्टि के बाद किया गया था।

निकोलस कोपरनिकस का योगदान

कोपरनिकस के अन्तरिक्ष के बारे में सात नियम, जो उनकी किताब में दर्ज हैं, इस प्रकार हैं :

•सभी खगोलीय पिंड किसी एक निश्चित केन्द्र के परितः नहीं हैं
•पृथ्वी का केन्द्र ब्रह्माण्ड का केन्द्र नहीं है; वह केवल गुरुत्व व चंद्रमा का केन्द्र है
•सभी गोले (आकाशीय पिंड) सूर्य के परितः चक्कर लगाते हैं। इस प्रकार सूर्य ही ब्रह्माण्ड का केन्द्र है
•पृथ्वी की सूर्य से दूरी, पृथ्वी की आकाश की सीमा से दूरी की तुलना में बहुत कम है
•आकाश में हम जो भी गतियां देखते हैं वह दरअसल पृथ्वी की गति के कारण होता है। (आंशिक रूप से सत्य)
•जो भी हम सूर्य की गति देखते हैं, वह दरअसल पृथ्वी की गति होती है
•जो भी ग्रहों की गति हमें दिखाई देती है, उसके पीछे भी पृथ्वी की गति ही जिम्मेदार होती है

विशेष बात यह है कि कोपरनिकस ने ये निष्कर्ष बिना किसी प्रकाशिक यंत्र के उपयोग के प्राप्त किए। वह घंटों नंगी आँखों से अन्तरिक्ष को निहारता रहता था और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करता रहता था। बाद में गैलिलियो ने जब दूरदर्शी का आविष्कार किया तो उसके निष्कर्षों की पुष्टि हुई।


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