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धरती से चाँद तक की दुरी तय करने वाले पहले व्यक्ति - नील आर्मस्ट्रांग....

नील आर्मस्ट्रांग एक ऐसा नाम है, जो चाँद पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थे। स्टीफन आर्मस्ट्रांग और विवियोला इंजेल की प्रथम संतान के रूप में नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ। चांद पर सबसे पहले क़दम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग में हवाई यात्राओं के प्रति रुचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे। 6 वर्ष की अवस्था में ही इन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में इन्होंने अपना फ्लाईट सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया और विमान उड़ाना शुरू किया था। इन्होंने ऐरोनोटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक तथा ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में परास्नातक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इस शिक्षा द्वारा उन्होंने जो विमान संचालन संबंधी तकनीकी कार्यकुशलता प्राप्त की उसका लाभ उन्हें आगामी कई उड़ान अभियानों में मिला। एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में उभरने से पूर्व आर्मस्ट्रांग संयुक्त राष्ट्र नौसेना के अधिकारी रहे तथा कोरिया युद्ध में भी अपनी सेवाएं दीं। युद्ध के पश्चात वे एक पायलट के रूप में नेशनल एडवाईज़री कमेटी फ़ॉर ऐरोनोटिक्स से जुड़े जहाँ उन्होंने 900 से अधिक उड़ानों का अनुभव प्राप्त किया। जनवरी 1956 में इनका विवाह जेनेट एलिज़ाबेथ शेरॉन से हुआ। 1958 में इनका चयन अमेरिकी वायुसेना के 'मैन इन स्पेस सूनेस्ट (‘Man in Space Soonest‘) कार्यक्रम में हुआ। यह दौर चन्द्रमा से संबंधित अनेक सफल-असफल अभियानों का था। आर्मस्ट्रांग अब तक बार-बार यह प्रदर्शित कर चुके थे कि वे उड़ानों को लेकर कितने समर्पित और दक्ष हैं। इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व का एक सुनहरा पक्ष भी उभरकर सामने आया कि वे अपने मिशनों की सफलता में अपने अहम को आड़े नहीं आने देते। उनके चरित्र के इन्हीं मजबूत पक्षों ने चन्द्रमा के लिए बहुप्रतीक्षित ‘अपोलो 11’ उड़ान की कमान उनके हाथों में सौंप दी और अंततः 20 जुलाई 1969 को यान की चंद्रमा के धरातल पर सुरक्षित लैंडिंग हो ही गई। मिशन कंट्रोल रूम को आर्मस्ट्रांग का पहला सन्देश था- Houston, Tranquility Base Here. The Eagle has landed.” 21 जुलाई, 1969 वह ऐतिहासिक दिन था जब मानव ने पहली बार पृथ्वी के बाहर किसी खगोलीय पिंड पर आधिकारिक रूप से अपने क़दम रखे। इस मौके पर आर्मस्ट्रांग के विश्वप्रसिद्ध उद्दगार थे – That’s one small step for man, one giant leap for mankind.” ('एक आदमी का छोटा क़दम, मानवता के लिए बड़ी छलांग' बताया था।) 20वीं शताब्दी में उनकी यह उक्ति ख़ासी लोकप्रिय हुई थी। जिस समय वह चांद की सतह पर उतरे थे, उनके हृदय में प्रति मिनट 150 तक की धड़कन रिकार्ड की गयी थी जो सामान्य स्थितियों के मुकाबले लगभग दो गुना थी. वह अपोलो-11 अभियान के कमांडर थे. इस अभियान में बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिंस भी नील आर्मस्ट्रांग के साथ अंतरिक्ष यान अपोलो-11 से चंद्रमा पर पहुंचे थे. अपोलो-11 अंतरिक्ष यान को लगभग चार लाख किलोमीटर की यह यात्रा करने में चार दिन लगे.

नील आर्मस्ट्रॉंग को अमरीका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान कॉग्रेशनल गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया था. वर्ष 2006 में जेम्स आर हंसेन (James R Hansen) द्वारा लिखित नील आर्मस्ट्रांग की अधिकृत जीवनी फर्स्ट मैन: द लाईफ ऑफ नील ए आर्मस्ट्रांग (First Man: The Life of Neil A. Armstrong) प्रकाशित हुई.

 

नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र थे । वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते थे । सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चाँद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए। दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था। परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए। जब एक पत्रकार ने नील आर्मस्ट्रांग से पूछा की अंतरिक्ष में जाने का आपका कैसा अनुभव रहा, तब उन्होंने जवाब दिया - “जब मैं चंद्रमा पर गया था तब एक अंतरिक्षयात्री के तौर पर गया था, लेकिन जब वापस लौटा तो एक मानव बन कर वापस आया हूं। यही मेरा अनुभव है।“

उन्होंने कभी खुद को अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुडी सिलिब्रिटी के तौर पर स्थापित करने की कोशिश नहीं की वो नेवी के फाइटर पायलट थे और मरते दम तक खुद को फाइटर पायलट कहा जाना ही ज्यादा पसंद करते थे । कैमरे से बेहद शर्माने वाले आर्मस्ट्रांग 2010 अंतिम बार तब सार्वजनिक तौर पर दिखे जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की अंतरिक्ष नीति में व्यापक फेरबदल की घोषणा करते हुए निजी कंपनियों को अंतरिक्ष यान बनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.आर्मस्ट्रोंग चाहते थे कि निजी कंपनियों की इसमें भागीदारी हो और अंततः कांग्रेस को नील की इस जिद को स्वीकार करना पड़ा ।

 

आर्मस्ट्रांग के साथी और दुनिया के प्रसिद्ध एस्ट्रोनाट ग्लेन जिन्होंने कभी आर्मस्ट्रांग के साथ पनामा के जंगलों में अंतरिक्ष यात्रा का प्रशिक्षण लिया था, हमेशा कहते थे “आर्मस्ट्रांग ही दुनिया का एकमात्र शख्स है जिसे मैं जितना प्यार करता हूँ उतनी ही ईर्ष्या करता हूँ ।

 

आर्मस्ट्रांग ने चाँद पर भले ही फतह पा ली थी,लेकिन वो उसे हमेशा उस निगाह से भी देखते रहे, जिस निगाह से कोई कवि चाँद को देखता है. आर्मस्ट्रांग ने अपने जीवन में एकमात्र साक्षात्कार 2006 में एक टीवी चैनल को दिया था जिसमे उन्होंने कहा कि चाँद की सतह सूरज की रोशनी में ज्यादा खूबसूरत लगती है,कई बार ऐसा लगता है जैसे हम जमीन पर हों पर आस-पास कोई शोर नहीं होता, उसी साल आर्मस्ट्रोंग की जीवनी “फर्स्ट मैन:लाइफ आफ द नेल ए.आर्मस्ट्रोंग “बाजार में आयी. उनकी जीवनी लिखने वाले हेनसेन बताते हैं मैंने इतना संवेदनशील इंसान कभी नहीं देखा.

 

अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों ने अपनी यात्रा की 30 वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में जब नील को बुलाया तो लगभग 30 लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया ,लेकिन शर्मीले आर्मस्ट्रोंग सिर्फ थैंक्स करके मंच से उतर आये,बाद में उन्होंने अपने लिखित सन्देश में कहा कि

“अपोलो मिशन कीसबसे बड़ी उपलब्धता दुनिया को ये बताना था कि सारी संभवनाएं मानवता में निहित हैं अगर सारी दुनिया एक हो जाए तो हम उन लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकते हैं ,जिन्हें प्राप्त करना अब तक असंभव रहा है“.इस बात में कोई दो राय नहीं कि अपोलो मिशन शीत युद्ध के कड़वे दिनों की कड़वाहट को कम करने के काम आया.वो नील थे जिनकी पहल पर दुनिया की दो महाशक्तियां अंतरिक्ष विज्ञान की उन्नति के लिए एक टेबल पर बैठने को तैयार हो गयी थी.

 

आर्म्सट्रांग ने 1971 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा छोड़ दिया था और छात्रों को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाने लगे थे। आर्म्सट्रांग का हृदय रोग के निदान के लिए उनका ऑपरेशन किया गया था, लेकिन इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती गई और 25 अगस्त 2012 को अंतत: उन्होंने दम तोड़ दिया। चन्द्रमा को लेकर कई मिथकों और भ्रांतियों से घिरी मानव सभ्यता को आज विज्ञान ने एक नई दिशा दिखाई थी, जो भविष्य में कई अभियानों का आधार बनी।

 

नील आर्मस्ट्रांग के एक छोटे-से कदम ने मानवजाति के लिए एक नए विश्व का निर्माण कर दिया। उनके निधन के बाद उनके परिवार की ओर से जारी एक निवेदन में नील आर्मस्ट्रांग के जीवन का सार अत्यंत खूबसूरती के साथ उजागर होता है – “जो लोग यह पूछते हैं कि नील के सम्मान में हम क्या करें, उनसे हमारी एक ही विनती है। नील ने सेवावृत्ति, उपलब्धि और नम्रता की जो नजीर पेश की, उसे आदर देते हुए उनका अनुसरण करें। और अब जब कभी आप रात्रि के दरम्यान खूले आकाश के तले चहलकदमी करने निकलें और चंद्रमा आपकी ओर तकते हुए मुस्काए तब नील को याद कर अपनी पलक झपका लीजिएगा।“

 

चाँद को छूने वाले आर्मस्ट्रांग अब दुनिया को अलविदा कहकर खुद एक हमेशा चमकते रहने वाले सितारे बन गए हैं.


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