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निगोसिएशन की कुछ टिप्स जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होगी....

सबसे पहले आपके लिए जानना जरूरी है कि आखिर निगोसिएशन क्या है - निगोसिएशन दो व्यक्तियों या दो से अधिक के मध्य एक ऐसी चर्चा जो किसी विशेष मुद्दे के समझौते को प्रकट करती है । निगोसिएशन उस बातचीत को कहते है, जिसका उद्देश्य समाधान ढूंढना, किसी एक व्यक्ति या सामूहिक लाभ के लिए संधि करना, आपसी सहमति बनाना, भविष्य में होने वाली परेशानियों पर विचार-विमर्श कर संधि स्थापित करना और परिणामों की व्याख्या करना है । निगोसिएशन का उद्देश्य विवादों को हल करना और आपस में संतुष्ट होना है |

ये समझौते कई प्रकार के हो सकते है, इसीलिए निगोसिएशन के भी कई प्रकार होते है ।

जब भी निगोसिएशन की प्रोसेस स्टार्ट होती है, कई लोगो को थोड़ी घबराहट महसूस होती है, जैसे कि - कही ऐसा ना हो की निगोसिएशन किसी बेवजह बहस का मुद्दा बन जाये, कही ऐसा ना हो की निगोसिएशन की वजह से कोई अच्छी अपॉर्चुनिटी हाथ से निकल जाये, कही ऐसा ना हो की निगोसिएशन के मेटर के कारण में अपना आपा खो दू , किसी के साथ कोई बदसलूकी ना कर लू या कही ऐसा ना हो की दो लोगो के बीच में एक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाये ।

देखिये आपको अपना माइंड पहले ही तैयार करना होगा की जब भी आप निगोसिएशन मीटिंग में बैठेंगे तो, किसी मेटर का सोलुशन निकालने पर माहौल गरम हो ही सकता है । वहां की स्थिति के अनुसार हो सकता है की आप उस कन्वर्सेशन में भावनात्मक रूप से कनेक्ट हो जाये । आपका ब्लड प्रेसर बढ़ने लगे, गुस्सा आने की स्थिति उत्पन्न हो और ये सब आपके सामने वाले व्यक्ति के साथ भी हो । और थोड़ी देर बाद माहौल ये हो की आप दोनों की बातचीत की आवाज लाऊड हो जाये और थोड़ी देर बाद आप एक दूसरे पर चिल्लाना शुरू कर दे | यही एक बातचीत में बनने वाले गरम माहौल की परिभाषा है ।

इन सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए कुछ टिप्स नीचे दिए गए है|

  • जब भी किसी प्रकार के गर्म माहौल की स्थिति महसूस हो, सबसे पहले आप अपने मन और दिमाग को शांति की स्थिति में ले जाये । इसके लिए आप अपनी उसी अवस्था में बैठे हुए लम्बी और गहरी साँस ले सकते है । ऐसे माहौल में जरुरत होती है की आप अपने शारीरिक प्रतिक्रिया पर भी विशेष ध्यान दे । शारीरिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है, क्योकि इसकी गतियों (मूवमेंट) से आराम से पता लगाया जा सकता है की किसी भी व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है ।  जैसे :- अपने हाथो को टेबल पर टिका दे या एक दूसरे से जोड़ कर रखे । अपने पैरो को जमीन पर टिके रहने दे, उन्हें हिलाये नहीं वरना सामने बैठे व्यक्ति को ये फील हो सकता है की आप इस विषय पर आगे बात करने में इंट्रेस्टेड नहीं है, जिससे शायद मौजूदा वातावरण और तनावपूर्ण हो सकता है ।

अगर मौजूदा माहौल में तनावपूर्ण स्थिति हो और आप अपने दोनों हाथो को आपस में मोड़ना, मरोड़ना, उंगलियों को दबाना या हाथो द्वारा दिया गया कोई भी संकेत देते है, तो ये दर्शाता है की आप इस विषय को लेकर काफी चिंतित है, जिसका परिणाम कुछ यू भी हो सकता है की सामने वाला व्यक्ति आपके हाव - भाव को समझ कर आपको कन्फूजन में डाल दे । परिणामस्वरूप आप उस स्थिति को संभाल ना पाए और अपना आपा खो दे ।

पर, इसी के दूसरी और अगर मौजूदा माहौल में तनावपूर्ण स्थिति हो, तो आप अपने शारीरिक मूवमेंट को धीमीगति से और सोच-समझकर प्रकट करेंगे तो आप अपने दिमाग को संकेत दे सकते है अपने आपको शांत करने के लिए ।

  • हर व्यक्ति का अपना अलग अंदाज होता है, इसलिए बातो को समझने का और बातो को प्रकट करने का भी सबका अपना ही तरीका होता है । इसीलिए आपको जरुरत है उस तरीके को समझकर अपनी प्रतिक्रिया देने की । कभी-कभी ये होता है की आपके समक्ष बैठा व्यक्ति अगर आपकी बात से संतुष्ट नहीं है, तो वो तुरंत प्रतिक्रिया देना आरम्भ कर देता है । ऐसा हो सकता है की वो अपनी आवाज बड़ा दे, जोर से चिल्लाना या टेबल को ठोकना प्रारम्भ कर दे, पर आपको कतई जरुरत नहीं है उसकी बातो का जवाब उसी के अंदाज में या विस्फोटक रूप से देने की ।  ऐसे समय में आपको जरुरत है थोड़े से संयम रखने की । उसे वो सब करने दीजिये जो वो कर रहा है और अपने समय से ही उसे शांत होने दीजिये । कुछ लोगो को ठंडा करने के लिए पहले गर्म करने की आवश्यकता होती है । या दूसरे शब्दों में कह सकते है की कुछ लोगो को कोई बात समझाने के लिए हाई टेम्प्रेचर पर ले जाकर धीरे-धीरे लो टेम्प्रेचर पर लाने की आवश्यकता होती है । ऐसे समय में उसे ध्यान से सुनिए और उसके अंदर जो भी गुस्से का उबाल हो उसे सब बाहर निकालने दीजिये । निश्चित ही बातो के अंत में आप दोनों एक निष्कर्ष और आपसी समझौते तक पहुंच जायेंगे ।
  • कभी कभी निगोसिएशन की स्थिति में आप सामने वालो की बातो को टाल दे ये भी एक अच्छा ऑप्शन्स होता है, पर जरुरत है की आप उसे सुने ध्यान से । अगर आप सामने बैठे व्यक्ति की बात से संतुष्ट नहीं है, तो कोई जरुरत नहीं है जबरदस्ती उसकी बातो में हामी भरने की । परन्तु अगर आप उसे बिना टोके ध्यान से उसकी बाते सुन लेते है तो मौजूदा वातावरण में गम्भीर स्थिति उत्पन्न नहीं होती है । एक शोध के अनुसार- "अगर आप किसी व्यक्ति की बातो से एग्री नहीं करते परन्तु फिर भी आप उसे ध्यानपूर्वक सुनते है, तो आपका ये व्यवहार उसके मन में गहराई तक प्रशंसा उत्पन्न करता है "। इसलिए ये दर्शना भी अच्छा तरीका है की आप सामने वाले को सुन रहे है या कभी कभी लोग बस ये चाहते है की आप उनकी बातो से सहमत ना हो वो आपका पॉइंट ऑफ़ व्यू है पर आप बस उन्हें ध्यानपूर्वक सुन ले । 
  • अक्सर यह होता है कि एक ही चीज़ को कई लोगो का देखने का तरीका अलग - अलग होता है । जिसके चलते एक निश्चित परिणाम तक पहुंचना कठिन होता है । ऐसी विषम परिस्थिति में उस विषय पर गहराई में जाने की जरुरत और अपने आपको सामने वाले के स्थान पर रखने की आवश्यकता होती है ।
  • अगर बात थोड़ी तनावपूर्ण होने लगे और आप खुद नाराज हो तो ऐसी स्थिति में जरुरत है एक छोटे सा ब्रेक लेने की । जिससे आप अपने आपको थोड़ा रिफ्रेश कर सके । ब्रेक लेकर आप 5 से 8 मिनट का मैडिटेशन कर सकते है । थोड़ा वॉक कर सकते है । इसके बाद भी अगर आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे है तो आप एक मीडिएटर को रखकर बाते कर सकते है |

उम्मीद है की ये टिप्स आपको काफी हेल्प करेगी |


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