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वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड....

वैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है, जब वेदों की रचना हुई थी। हड़प्पा संस्कृति के पतन के बाद भारत में एक नई सभ्यता का आविर्भाव हुआ। इस काल में वर्तमानहिंदू धर्म के स्वरूप की नींव पड़ी थी जो आज भी अस्तित्व में है। 

 

प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्‍यता सबसे प्रारंभिक सभ्‍यता है जिसका संबंध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण हिन्‍दुओं के प्रारम्भिक साहित्‍य वेदों के नाम पर किया गया है। वैदिक सभ्यता का नाम ऐसा इस लिए पड़ा क्योंकि वेद इस काल की जानकारी का प्रमुख स्रोत हैं। वेद चार है - ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद। इनमें से ऋग्वेद की रचना सबसे पहले हुई थी। ऋग्वेद में ही गायत्री मन्त्र है जो सवित्री को समर्पित है।

* ऋग्वेद (इसमें देवताओं का आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं -- यही सर्वप्रथम वेद है)(यह वेद मुख्यतः ऋषि मुनियों के लिये होता है)

* सामवेद (इसमें यज्ञ में गाने के लिये संगीतमय मन्त्र हैं)(यह वेद मुख्यतः गन्धर्व लोगो के लिये होता है)

* यजुर्वेद (इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं)(यह वेद मुख्यतः क्षत्रियो के लिये होता है)

* अथर्ववेद (इसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं)(यह वेद मुख्यतः व्यापारियो के लिये होता है)

वैदिक सभ्‍यता सरस्‍वती नदी के किनारे के क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब और हरियाणा राज्‍य आते हैं, में विकसित हुई। वैदिक आर्यों और हिन्‍दुओं का पर्यायवाची है, यह वेदों से निकले धार्मिक और आध्‍यात्मिक विचारों का दूसरा नाम है। बड़े पैमाने पर स्‍वीकार दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर ईसा पूर्व 2000 के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया, और यही ऋगवेद के स्‍त्रोतों की रचना की गई।

आर्य जन जनजातियों में रहते थे और संस्‍कृत भाषा का उपयोग करते थे, जो भाषाओं के भारतीय - यूरोपीय समूह के थे। क्रमश: आर्य स्‍थानीय लोगों के साथ मिल जुल गए और आर्य जनजातियों तथा मूल अधिवासियों के बीच एक ऐतिहासिक संश्‍लेषण हुआ। यह संश्‍लेषण आगे चलकर हिन्‍दुत्‍व कहलाया। आर्यों का समाज पित्रप्रधान था। परिवार या कुल के मुखिया को कुलप कहा जाता था। वनस्पति से बना सोम रस आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ था। घोडा आर्यों का प्रिय पशु था। इस अवधि के दो महान ग्रंथ रामायण और महाभारत थे।

वेदों के अतिरिक्त संस्कृत के अन्य कई ग्रंथो की रचना भी इसी काल में हुई थी। ब्राह्मण ग्रंथ और उपनिषद इस काल के ज्ञानप्रदायी स्रोत हैं। बौद्ध और जैन धर्म का उदय भी इसी काल में हुआ था।

वैदिक काल को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है- ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल।

ऋग्वैदिक काल

इस काल की तिथि निर्धारण जितनी विवादास्पद रही है उतनी ही इस काल के लोगों के बारे में सटीक जानकारी। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि इस समय तक केवल इसी ग्रंथ (ऋग्वेद) की रचना हुई थी। सर्वप्रथम आर्य अफगानिस्तान और प॑जाब मे आ के बसे। मैक्स मूलर के अनुसार आर्य का मूल निवास मध्य ऐशिया है। आर्यो द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक काल कहलाई। आर्यो द्वारा विकसित साभ्य्ता ग्रामीण साभ्यता कहलायी। आर्यो की भाषा संस्कृत थी।

इस काल के प्रशासन की सबसे छोटी इकाई कुल थी। एक कुल में एक घर में एक छत के नीचे रहने वाले लोग शामिल थे। एक ग्राम कई कुलों से मिलकर बना होता था। ग्रामों का संगठन विश् कहलाता था और विशों का संगठन जन। कई जन मिलकर राष्ट्र बनाते थे।

राष्ट्र (राज्य) का शासक राजन् (राजा) कहलाता था। जो राजा बड़े होते थे उन्हें सम्राट कहते थे।

ऋग्वैदिक काल में प्राकृतिक शक्तियों की ही पूजा की जाती थी और कर्मकांडों की प्रमुखता नहीं थी।

उत्तरवैदिक काल

ऋग्वैदिक काल में आर्यों का निवास स्थान सिंधु तथा सरस्वती नदियों के बीच में था। बाद में वे सम्पूर्ण उत्तर भारत में फ़ैल चुके थे। सभ्यता का मुख्य क्षेत्र गंगा और उसकी सहायक नदियों का मैदान हो गया था। गंगा को आज भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस काल में विश् का विस्तार होता गया और कई जन विलुप्त हो गए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ नए राज्यों का विकास हो गया था, जैसे - काशी, कोसल, विदेह, मगध और अंग।

ऋग्वैदिक काल में सरस्वती नदी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ग॓गा और यमुना नदी का उल्लेख केवल एक बार हुआ है। इस काल मे कौसाम्बी नगर मे॓ पहली बार पक्की ईटो का प्रयोग किया गया।

बौद्ध युग

इसके पश्चात बौद्ध काल की उत्पत्ति हुई जिसे गौतम बुद्ध ने स्थापित किया |भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व 7 वीं और शुरूआती 6 वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्‍वपूर्ण गणराज्‍यों में कपिलवस्‍तु के शाक्‍य और वैशाली के लिच्‍छवी गणराज्‍य थे। गणराज्‍यों के अलावा राजतंत्रीय राज्‍य भी थे, जिनमें से कौशाम्‍बी (वत्‍स), मगध, कोशल, और अवन्ति महत्‍वपूर्ण थे। इन राज्‍यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्‍यक्तियों के पास था, जिन्‍होंने राज्‍य विस्‍तार और पड़ोसी राज्‍यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था।

बुद्ध का जन्‍म ईसा पूर्व 560 में हुआ और उनका देहान्‍त ईसा पूर्व 480 में 80 वर्ष की आयु में हुआ। उनका जन्‍म स्‍थान नेपाल में हिमालय पर्वत श्रंखला के पलपा गिरि की तलहटी में बसे कपिलवस्‍तु नगर का लुम्बिनी नामक निकुंज था। बुद्ध, जिनका वास्‍‍तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था, ने बुद्ध धर्म की स्‍थापना की जो पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्‍सों में एक महान संस्‍कृति के रूप में वि‍कसित हुआ।

•सिकंदर का भारत में प्रवेश
 
•ईसा पूर्व 326 में सिकंदर सिंधु नदी को पार करके तक्षशिला की ओर बढ़ा व भारत पर आक्रमण किया। तब उसने झेलम व चिनाब नदियों के मध्‍य अवस्थ्ति राज्‍य के राजा पौरस को चुनौती दी। यद्यपि भारतीयों ने हाथियों, जिन्‍हें मेसीडोनिया वासियों ने पहले कभी नहीं देखा था, को साथ लेकर युद्ध किया, परन्‍तु भयंकर युद्ध के बाद भारतीय हार गए। सिकंदर ने पौरस को गिरफ्तार कर लिया, तथा जैसे उसने अन्‍य स्‍थानीय राजाओं को परास्‍त किया था, की भांति उसे अपने क्षेत्र पर राज्‍य करने की अनुमति दे दी।
•दक्षिण में हैडासयस व सिंधु नदियों की ओर अपनी यात्रा के दौरान, सिकंदर ने दार्शनिकों, ब्राह्मणों, जो कि अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे, की तलाश की और उनसे दार्शनिक मुद्दों पर बहस की। वह अपनी बुद्धिमतापूर्ण चतुराई व निर्भय विजेता के रूप में सदियों तक भारत में किवदंती बना रहा।
 
•उग्र भारतीय लड़ाके कबीलों में से एक मालियों के गांव में सिकन्‍दर की सेना एकत्रित हुई। इस हमले में सिकन्‍दर कई बार जख्‍मी हुआ। जब एक तीर उसके सीने के कवच को पार करते हुए उसकी पसलियों में जा घुसा, तब वह बहुत गंभीर रूप से जख्‍मी हुआ। मेसेडोनियन अधिकारियों ने उसे बड़ी मुश्किल से बचाकर गांव से निकाला।
 
•सिकन्‍दर व उसकी सेना जुलाई 325 ईसा पूर्व में सिंधु नदी के मुहाने पर पहुंची, तथा घर की ओर जाने के लिए पश्चिम की ओर मुड़ी।


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